दोनों बहने बालिग हैं। युवतियों के पिता ने दोनों भाईयों के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज कराया है। सुपौल पुलिस के साथ कश्मीर पुलिस की टीम ने बुधवार सुबह उन्हें गिरफ्तार करने से पहले दोनों बहनों को अपने साथ ले लिया। इसके बाद चारों को सुपौल अदालत में पेश किया जहां दोनों बहनों ने मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान दर्ज कराए।
दोनों बहनों का कहना है कि वह बालिग हैं और उन्होंने अपनी मर्जी से दोनों भाईयों के साथ बिना जोर-जबरदस्ती के शादी की है। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि वह उन्हें उनके पति के साथ रहने की इजाजत दे। अदालत ने कश्मीरी पुलिस को उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर लेने की मंजूरी दे दी। दोनों भाईयों के परिवार के सदस्यों के अनुसार दोनों ने कश्मीर में रामबन जिले के नगमा बनिहाल गांव में राजमिस्त्री के तौर पर चार साल काम किया है।
काम के दौरान दोनों कश्मीरी बहनों के प्यार में पड़ गए। दोनों ने अपने रिश्ते को बढ़ाते हुए उसे शादी मे तब्दील कर लिया। दोनों ने शादी अनुच्छेद 370 के खत्म होने के बाद की। तबरेज अहमद ने कहा, ‘अनुच्छेद 370 का खत्म होना हमारे लिए सुनहरा मौका बन गया क्योंकि हमें पता चला कि कोई भी कश्मीरी लड़की से शादी कर सकता है और कश्मीर में रह सकता है। जल्द ही हम चारों ने कश्मीर के मुस्लिम नियमों के अनुसार निकाह कर लिया।’
निकाह के बाद दोनों जोड़े कश्मीर छोड़कर 16 अगस्त को सुपौल पहुंचे। इसी बीच घटना के बारे में पता चलने पर युवतियों के पिता ने नगमा बनिहाल पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने दोनों भाईयों पर अपहरण का आरोप लगाया। दोनों लड़कियों को लगा था कि अनुच्छेद 370 के खत्म होने से उनकी शादी पर कानूनी दिक्कत नहीं आएगी।
युवतियों ने मजिस्ट्रेट से कहा, ‘हमने तीन साल अपनी शादी के सपने को हकीकत में बदलने का इंतजार किया। हम बालिग हैं और अपने पतियों के साथ खुश हैं। वह हमें प्यार करते हैं। कश्मीरी पुलिस अधिकारी ने कहा, मामला अदालत में है। हम कानून से बंधे हुए हैं और इसी कारण हमें उन्हें कश्मीरी अदालत में पेश करना होगा। जहां दोनों जोड़ों की किस्मत का फैसला होगा।